इंदौर को केंद्र सरकार द्वारा रामसर कन्वेंशन के तहत प्रतिष्ठित वेटलैंड सिटी मान्यता के लिए नामांकित किया गया है। केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर इसकी जानकारी दी है। यह पहल शहरों को अंतरराष्ट्रीय पहचान और सकारात्मक ब्रांडिंग का अवसर प्रदान करती है।
Double joy!
I am thrilled to share that in a first for India, Indore in Madhya Pradesh and Udaipur in Rajasthan have joined the list of 31 Wetland Accredited Cities in the world – a testimony to PM Shri @narendramodi ji’s vision of marching ahead aligning economy and ecology.… pic.twitter.com/No8GsBLWMx
— Bhupender Yadav (@byadavbjp) January 24, 2025
2015 में शुरू की गई यह मान्यता उन शहरों को दी जाती है जो अपने वेटलैंड्स के संरक्षण और शहरी विकास में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं। इंदौर के अलावा राजस्थान के उदयपुर को भी इसके लिए चुना गया है, जबकि भोपाल का चयन इस श्रेणी में नहीं हुआ है। गौरतलब है कि दुनिया भर के 31 शहर वेटलैंड सिटी का स्टेटस पाने की इस प्रतियोगिता में शामिल हैं।
इंदौर की 2 वेटलैंड, सिरपुर तालाब और यशवंत सागर को पहले ही रामसर साइट घोषित किया जा चुका है। शहर में झील संरक्षण, पर्यावरण सुधार और पक्षी आवास के लिए विशेष प्रयास किए जा रहे हैं। वहीं सिरपुर तालाब को एक बर्ड सेंचुअरी के रूप में विकसित किया जा रहा है। हालांकि इंदौर का सिरपुर तालाब उसके जल की गिरती गुणवत्ता, प्रवासी पक्षियों की घटती संख्या, और वेटलैंड नियमों के उल्लंघन को लेकर चर्चा में रहा है।
पिछले माह ही एनजीटी (राष्ट्रिय हरित न्यायाधिकरण) का सिरपुर तालाब के पास हुए अवैध निर्माण को लेकर फैसला आया था, जिसमें जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई की गई थी। अब वेटलैंड सिटी बनने के बाद इंदौर की रामसर साइट्स और अन्य वेटलैंड की स्थिति कितनी सुधरती है, यह आने वाले समय में ही स्पष्ट हो सकेगा।
भारत में स्वतंत्र पर्यावरण पत्रकारिता को जारी रखने के लिए ग्राउंड रिपोर्ट का आर्थिक सहयोग करें।
यह भी पढ़ें
कूड़े की यात्रा: घरों के फर्श से लैंडफिल के अर्श तक
‘अस्थमा है दादी को…’: दिल्ली में वायु प्रदूषण से मजदूर वर्ग सबसे ज़्यादा पीड़ित
किसान बांध रहे खेतों की मेढ़ ताकि क्षरण से बची रहे उपजाउ मिट्टी
कचरे से बिजली बनाने वाले संयंत्र ‘हरित समाधान’ या गाढ़ी कमाई का ज़रिया?
पर्यावरण से जुड़ी खबरों के लिए आप ग्राउंड रिपोर्ट को फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम, यूट्यूब और वॉट्सएप पर फॉलो कर सकते हैं। अगर आप हमारा साप्ताहिक न्यूज़लेटर अपने ईमेल पर पाना चाहते हैं तो यहां क्लिक करें।
पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन से जुड़ी जटिल शब्दावली सरल भाषा में समझने के लिए पढ़िए हमारी क्लाईमेट ग्लॉसरी ।