सिवनी के दल सागर लेक को लेकर नेशनल ग्रीन ट्रिब्युनल ने अपना फैसला सुनाया है। ट्रिब्यूनल ने कहा है कि स्थानीय नगरीय निकाय द्वारा लेक के घाट पर मौजूद कब्ज़े को हटाने के लिए कोई भी कदम नहीं उठाए गए। एनजीटी ने अपने फैसले में लेक पर मौजूद निर्माण को हटाने के लिए एक ‘टारगेटेड एक्शन प्लान’ बनाने का आदेश दिया है। इसके अलावा सिवनी नगर पालिका को सीवेज के निपटारे, लेक से खरपतवार हटाने, और झील के तल का जैव-उपचार (bioremediation) एवं रिस्टोरेशन करने का आदेश भी दिया गया है। 

दरअसल 2023 में सिवनी की जिला योजना समिति के द्वारा दलसागर तालाब का सौंदर्यीकरण करने का निर्णय लिया गया। सौन्दर्यीकरण के तहत नगर पालिका द्वारा लेक के बीच में स्थित टापू में राजा दलपत शाह की 25 फीट की मूर्ति और टापू से लेक के किनारे को जोड़ने के लिए 385 मीटर लंबे ओवरब्रिज के निर्माण का फैसला लिय गया। साथ ही 6 करोड़ से अधिक की लागत का म्यूजिकल वाटर फाउंटेन लगाने की भी बात थी।

मगर चूंकि यह पुल तालाब के अंदर ही बनाया जाना था इसलिए इसे वेटलैंड नियम 2017 का उल्लंघन बताते हुए अक्टूबर 2023 में अधिवक्ता नवेंदु मिश्रा ने एनजीटी जाने का फैसला लिया। हालांकि इसी बीच लेक पर निर्माण कार्य शुरू हो गया था।

दल सागर लेक के बीच में स्थित टापु पर दलपत शाह की मूर्ति जिससे जोड़ने के लिए एक ब्रिज का निर्माण किया जाना था । Photograph: (Ground Report)

जनवरी 2024 को एनजीटी ने अपने एक आदेश में दल सागर लेक पर हो रहे इस निर्माण पर रोक लगा दी। एनजीटी ने अपने 9 जुलाई 2024 के आदेश में दल सागर की परिधि में हो रहे निर्माण कार्य को हटाने और तालाब को उसकी वास्तविक स्थिति में वापस लाने का आदेश दिया। एनजीटी ने इस मामले में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड भोपाल के निदेशक, पर्यावण सचिव, और केंद्रीय भूजल प्राधिकरण के प्रतिनिधि को मिलाकर एक समिति भी गठित की। इनके द्वारा स्थानीय नगर पालिका से 480 लाख रूपए का पर्यावरण मुआवजा वसूलने को कहा गया।

साथ ही एक अन्य समिति को फिल्ड विजिट कर और दस्तावेजों की जांच कर लेक की वर्तमान स्थिति के बारे में बताना था।

09 अगस्त 2024 को अपनी फील्ड विजिट में समिति ने पाया कि 18.31 हेक्टेयर की इस झील के 30 से 40 प्रतिशत हिस्से खरपतवार उग आए हैं। कमिटी ने पाया कि दलपत शाह की मूर्ति की स्थापना के लिए 15 फीट का सीमेंट-कंक्रीट बेस और फुट ओवर ब्रिज के लिए 19 कंक्रीट पिलर का निर्माण किया गया है। साथ ही एक लेक के पास स्थित बसाहट में ओवरफ्लो होने की दशा में घुसने वाले पानी को रोकने के लिए एक रिटेनिंग वाल का भी निर्माण किया गया है जिसे समिति ने वेटलैंड नियम, 2017 के बिंदु 4 का उल्लंघन माना।

समिति ने इस दौरान की गई अपनी विजिट के बारे में कहा कि दल सागर लेक में उस दौरान कोई भी सीवेज नहीं मिल रहा था। हालांकि पिछली समिति द्वारा जो 480 लाख रूपए का मुआवजा भरने की बात कही गई थी उसे नगर पालिका द्वारा नहीं भरा गया था।

झील पर मौजूद खरपतवार, गंदगी और मरी हुई मछली। Photograph: (Ground Report)

अभी क्या स्थिति है और क्या आदेश हैं?

इसी साल जुलाई के महीने में ही ग्राउंड रिपोर्ट की टीम भी सिवनी की इस लेक पर पहुंची थी। यहां हमने पाया कि लेक गंदगी से भरा हुआ है। यहां हमने मछली भी मरी हुई दिखाई दी साथ ही तालाब में खरपतवार और इसके घाट में बेहद गंदगी भी मिली। एमपीटी की जिस चौपाटी से इस लेक पर बने टापू तक ब्रिज का निर्माण किया जाना था वह चौपाटी भी बंद पड़ी हुई है। कमिटी ने अपनी रिपोर्ट में लेक के किनारे कब्जों का भी ज़िक्र किया है। हमें यह कब्ज़े यथावत दिखाई दिए। हालांकि जिस म्यूजिकल फाउन्टेन की बात नगर पालिका के टेंडर में कही गई थी, वह हमें शाम के वक़्त चलता हुआ दिखाई दिया। 

अपनी पड़ताल में हमने पाया कि इस लेक पर होने वाला निर्माण कार्य तो रुक गया है मगर लेक की हालत में कोई सुधार नहीं हुआ है। एनजीटी ने अपने हालिया फैसले में कहा,

“(इस केस के) पक्षकारों का कर्तव्य है कि वह गोंड राजा दलपत शाह की इच्छा पूरी करें। उनके द्वारा यह कभी नहीं चाहा गया था कि जलाशय या झील के स्वरूप को कम किया जाए या उसे नुकसान पहुंचाया जाए और यह कभी इरादा नहीं था कि वहां उनकी प्रतिमा स्थापित की जाए।”

ट्रिब्यूनल ने आदेश देते हुए कहा है कि जिला प्रशासन वेटलैंड नियम, 2017 की धारा 4 का कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित करेगा। प्रशासन को यह सुनिश्चित करना होगा कि वेटलैंड पर कोई अतिक्रमण न हो, कोई निर्माण गतिविधियां न हों। साथ ही उसे ध्यान देना होगा कि लेक में कोई भी अनुपचारित पानी, कचरा/ठोस अपशिष्ट/प्लास्टिक नहीं डाला जाएगा।

ट्रिब्यूनल ने नगर पालिका को उनके खर्चे पर मौजूदा निर्माण कार्य ध्वस्त करने का आदेश दिया है। इसके लिए नगर पालिका को एक एक्शन प्लान बनाकर प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के स्थानीय ऑफिस में जमा करना होगा। 

हालांकि एनजीटी का यह फैसला आश्चर्यजनक नहीं है। ट्रिब्यूनल ने नगर पालिका को वही सब करने का आदेश दिया है जो उनकी ज़िम्मेदारी है। अब यह देखना होगा कि इस फैसले को कितनी जल्दी अमल में लाया जाता है। 

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