मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने बीते माह फरवरी की 7 तारीख को ताप्ती बेसिन मेगा रीचार्ज योजना को लागू करने की बात की थी। अब इस योजना के संबंध में मोहन यादव जल्द ही केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री सीआर पाटिल और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस के साथ समझौते पर हस्ताक्षर करेंगे। सरकार का दावा है कि इस परियोजना में किसी भी गांव को विस्थापित नहीं किया जाएगा। 

मोहन यादव ने कहा,

इस अंतरराज्यीय परियोजना में आ रही समस्याओं को दूर कर लिया गया है। ताप्ती बेसिन मेगा रीचार्ज योजना विश्व की सबसे बड़ी भूजल पुनर्भरण परियोजना है, इसके जरिए मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र सरकार के साथ मिलकर नदी जल की बूंद- बूंद का उपयोग सुनिश्चित कर कृषि भूमि का कोना- कोना सिंचित करेंगे।

ताप्ती नदी प्रायद्वीप में पश्चिम की ओर बहने वाली दूसरी सबसे बड़ी अंतरराज्यीय नदी है। इसकी कुल लंबाई 724 किमी है। यह नदी मध्य प्रदेश में 282 किमी और महाराष्ट्र में 228 किमी बहती है, जिसमें ताप्ती दोनों प्रदेशों में 54 किमी की साझा सीमा भी बनाती है। इसके बाद गुजरात में 214 किमी बहते हुए अरब सागर में मिल जाती है।     

क्या है ताप्ती बेसिन मेगा रीचार्ज योजना? 

ताप्ती नदी के बेसिन के पानी को खेती, पेयजल और उद्योगों के लिए इस्तेमाल में लाने के लिए जो योजना बनाई जा रही है, वह ताप्ती बेसिन मेगा रीचार्ज योजना है। इस परियोजना से मध्य प्रदेश के 123082 हेक्टेयर भूमि की सिंचाई की जा सकती है। जबकि महाराष्ट्र के 234706 हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई की जा सकेगी। योजना के अंतर्गत भूजल भंडारण का विस्तार किया जाएगा। इससे मध्य प्रदेश के बुरहानपुर और खंडवा जिलों की बुरहानपुर, नेपानगर, खकनार, खालसा तहसीलों को लाभ मिलेगा। 

इस मेगा रीचार्ज परियोजना के तहत खंडवा जिले में खरिया गुटीघाट बांध (लो डायवर्ज वियर) बनाया जाएगा। जिसमें से कुल तीन नहरों का संचालन होगा। इसके अलावा छिंदवाड़ा कॉम्प्लेक्स बहुउद्दशीय परियोजाना पर भी काम किया जाएगा।

पहली नहर बांध के दांए तट से 221 किमी लंबी होगी। जिसकी लम्बाई 110 किमी रहने वाली है। इससे मध्य प्रदेश के 5589 हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई की जा सकेगी।  

दूसरी नहर बांध के बांए तट से 135.64 किमी लंबी होगी, जो मध्य प्रदेश के 44993 हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध कराएगी। 

तीसरी नहर बांध के बांए तट दूसरी नहर के आर डी 90.89 किमी से 14 किमी लंबी टनल से होकर बहेगी। जिसकी लंबाई 123.97 किमी होगी, इससे केवल महाराष्ट्र के 80 हजार हेक्टेयर क्षेत्रफल में सिंचाई की जा सकेगी।

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Journalist, focused on environmental reporting, exploring the intersections of wildlife, ecology, and social justice. Passionate about highlighting the environmental impacts on marginalized communities, including women, tribal groups, the economically vulnerable, and LGBTQ+ individuals.

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