गाजियाबाद (Ghaziabad) के मुरादनगर से उत्तरप्रदेश-उत्तराखंड सीमा के पास पुरकाजी तक अपर गंगा कनाल के किनारे 111 किमी सड़क का निर्माण होने जा रहा है। उत्तरप्रदेश सरकार ने एनजीटी (NGT) को दिए जवाब में बताया है कि  तीन जिलों गाजियाबाद, मेरठ और मुजफ्फरनगर में लगभग 222.98 हेक्टेयर भूमि पर पेड़ों की कटाई जाएगी। सरकार ने अपने जवाब में कहा कि सड़क के निर्माण के लिए लगभग 33,776 बड़े पेड़ों और 78,946 पौधों को काटना होगा।

दरअसल 13 मार्च को पहली सुनवाई के दौरान, एनजीटी ने यूपी वन विभाग और तीन जिलों के जिला मजिस्ट्रेटों को उन पेड़ों/पौधों के बारे में विस्तृत जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया था जिन्हें काटने की जरूरत है। इसके जवाब के तौर पर ट्रिब्यूनल के समक्ष रिपोर्ट पेश की गई जिसमें कहा गया है कि तीनों जिलों में लगभग 222.98 हेक्टेयर भूमि पर कटाई की जाएगी। 

रिपोर्ट में कहा गया कि,  “यह प्रस्तुत किया गया है कि 222.98 हेक्टेयर संरक्षित वन भूमि के डायवर्जन की भरपाई के लिए, समकक्ष गैर वन भूमि या डबल डिग्रेडेड भूमि यानी 445.96 हेक्टेयर भूमि प्रभावित तीन जिलों गाजियाबाद, मेरठ और मुजफ्फरनगर में उपलब्ध नहीं थी। इसलिए गैर-वन भूमि और डबल डिग्रेडेड भूमि ललितपुर, मिर्ज़ापुर और सोनभद्र जिले में प्रस्तावित की गई थी।” 

ललितपुर, मिर्ज़ापुर और सोनभद्र जिले क्रमशः गाजियाबाद से लगभग 550 किमी, 767 किमी और 848 किमी दूर हैं। रिपोर्ट में यह उल्लेख किया गया है कि परियोजना के लिए काटे जाने वाले प्रस्तावित 112,722 पेड़ों/पौधों में से 484,720 पौधे ललितपुर, मिर्ज़ापुर और सोनभद्र में लगाए जाएंगे। इसके अलावा 21,028 पौधे परियोजना के पास मेरठ जिले/वन प्रभाग में लगाए जाएंगे। अधिकारियों ने कहा कि कुल क्षतिपूरक वनीकरण में लगभग ₹28.6 करोड़ का बजट शामिल होगा।

20 मई को हुई सुनवाई में अदालत ने बनने वालों सड़क की प्रकृति जाननी चाही थी। इसके लिए अदालत ने 3 दिन का समय दिया था। बुधवार को हुई सुनवाई इस पर जवाब भी दिया गया। लेकिन इस परियोजना के नोडल अधिकारी,और यूपी लोक निर्माण विभाग के एग्जीक्यूटिव इंजीनियर संजय सिंह पेश नहीं हुए थे। इसे लेकर एनजीटी ने अधिकारियों के बाबत नोटिस जारी की। साथ ही अगली सुनवाई में अधिकारीयों से वो क्राइटेरिया बताने को कहा है, जिसके अनुसार इन सड़कों को राष्ट्रीय/राज्य /ग्राम मार्ग में विभाजित किया गया है।  

यह भी पढ़ें

पर्यावरण से जुड़ी खबरों के लिए आप ग्राउंड रिपोर्ट को फेसबुकट्विटरइंस्टाग्रामयूट्यूब और वॉट्सएप पर फॉलो कर सकते हैं। अगर आप हमारा साप्ताहिक न्यूज़लेटर अपने ईमेल पर पाना चाहते हैं तो यहां क्लिक करें।

Journalist, focused on environmental reporting, exploring the intersections of wildlife, ecology, and social justice. Passionate about highlighting the environmental impacts on marginalized communities, including women, tribal groups, the economically vulnerable, and LGBTQ+ individuals.

Leave A Reply

Exit mobile version