हाल ही में केरल विश्वविद्यालय के डिपार्टमेंट ऑफ़ एक्वेटिक बायोलॉजी एंड फिशरीज ने यूरोपियन यूनियन के इरेस्मस प्रोग्राम के सहयोग से एक अध्ययन किया है। यह अध्ययन अष्टमुडी झील (Ashtamudi Lake) में माइक्रोप्लास्टिक (Microplastic) को लेकर हुआ था। इस अध्ययन में बहुत ही चिंताजनक तथ्य सामने आए हैं,आइये जानते हैं क्या कहता है यह अध्ययन। 

कितना माइक्रोप्लास्टिक प्रदुषण पाया गया 

“माइक्रोप्लास्टिक कंटैमिनेशन इन अष्टमुडी लेक, इंडिया: इनसाइट फ्रॉम अ रामसर वेटलैंड ” नाम की इस स्टडी में पाया गया कि मछली, शेलफिश, तलछट और अष्टमुडी झील के पानी में भरी मात्रा में माइक्रोप्लास्टिक पाए गए हैं । मैक्रोफोना में 19.6 फीसदी और शेलफिश में 40.9 फीसदी माइक्रोप्लास्टिक का हिस्सा पाया गया है। इन माइक्रोप्लास्टिक में 35.6 फीसदी फाइबर, 33.3 फीसदी छोटे टुकड़े, और 28 फीसदी फिल्म पाई गई है। इनमें से अधिकांश माइक्रोप्लास्टिक का हिस्सा छोटा था और जलीय जीवों के लिए पर्याप्त मात्रा में उपलबध था। 

झील में माइक्रोप्लास्टिक से खतरे 

माइक्रोप्लास्टिक में नायलॉन, पॉलीयुरेथेन, पॉलीप्रोपाइलीन, पॉलीइथाइलीन और पॉलीसिलोक्सेन जैसे पॉलिमर होते हैं। इसके अलावा अध्ययन में, झील में भारी धातुऐं जैसे कि मोलिब्डेनम, लोहा और बेरियम भी पाई गईं हैं। इन पदार्थों की उपस्थिति जलीय जीवन और मानव स्वास्थ्य दोनों के लिए हानिकारक है।

माइक्रोप्लास्टिक प्रदूषण के स्रोत

इस प्रदूषण का प्रमुख स्त्रोत नगरपालिका, आस-पास के आवास, और रिसॉर्ट्स का ठोस कचरा और प्लास्टिक का मलबा माना जा रहा है। मछुआरों द्वारा प्रयोग किये जाने वाले जाल, पिंजरे और मोनोफिलामेंट्स नायलॉन फाइबर प्रदूषण में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं। इसके अलावा आसपास के जलग्रहण क्षेत्रों में प्लास्टिक कचरे का अपर्याप्त प्रबंधन भी इस प्रदुषण का एक प्रमुख कारण है।

माइक्रोप्लास्टिक प्रदूषण को लेकर सुझाव 

शोध में झील के पानी में माइक्रोप्लास्टिक की लगातार मॉनिटरिंग का सुझाव दिया है। इसके साथ ही पानी और मछलियों में अधिक प्लास्टिक की मौजूदगी के कारण उसके मानव स्वास्थ पर पड़ने वाले दुष्प्रभाव के आकलन की भी बात कहि गई है। अंत में प्लास्टिक प्रदूषण को रोकने के लिए ठोस नीति बनाने की भी बात की गई है।

अष्टमुडी झील ऑक्टोपस शेप्ड वेटलैंड इकोसिस्टम है। यह एक रामसर साईट है, जो की जैव विविधता को सहारा देती है। एक अंतर्राष्ट्रीय महत्व के स्थल की ऐसी दुर्गति हमारे लिए एक अलार्म है। यह मानव स्वास्थ के साथ-साथ पर्यावरण की दृष्टि से भी एक चिंता का विषय है।   

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Journalist, focused on environmental reporting, exploring the intersections of wildlife, ecology, and social justice. Passionate about highlighting the environmental impacts on marginalized communities, including women, tribal groups, the economically vulnerable, and LGBTQ+ individuals.

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