प्रसिद्द पर्यावरणविद सुंदरम तिवारी ने  बढ़ते हुए ध्वनि प्रदूषण को लेकर उत्तर प्रदेश के पर्यावरण मंत्री अरुण कुमार सक्सेना से भेंट की थी। इससे पहले सुंदरम ने पत्राचार के माध्यम पर्यावरण मंत्री को इस समस्या के विषय में अवगत कराया था। 

सुंदरम तिवारी ने विभिन्न शोधों के माध्यम से बताया की ध्वनि प्रदूषण से, विशेषतः डीजे और लाउडस्पीकर से होने वाले ध्वनि प्रदूषण कई पर्यावरणीय दुष्प्रभाव होते हैं। सुंदरम ने बताया की बढ़ते नॉइज़ लेवल की वजह से पशुओं को परेशानी होती है। उनका स्ट्रेस लेवल बढ़ता है, गायों में दूध बनाने की मात्रा प्रभावित होती है, इसके साथ ही पशुओं के प्रजनन पर भी कई नकारात्मक प्रभाव पड़ते हैं।

इसके साथ ही सुंदरम तिवारी शोधों के हवाले से बताया कि ध्वनि प्रदूषण के बढ़ने से कई पक्षियों की प्रजातियां न सिर्फ प्रभावित हुई हैं, बल्कि माइग्रेट भी कर गईं  हैं। इसका स्पष्ट तौर पर हमारी जैव विविधता और पर्यावरण पर गंभीर प्रभाव होगा। 

ध्वनि प्रदूषण से होने पर्यावरणीय नुकसान को लेकर सुंदरम ने पर्यावरण मंत्री के समक्ष अपनी इन्हीं चिंताओं को व्यक्त किया था। इस दौरान उनके साथ पर्यावरणीय कार्यकर्त्ता शुभम भी मौजूद थे। सुंदरम ने अपनी चिंता जाहिर करते हुए कहा था कि विवाह समारोह, इत्यादि के सीजन में ध्वनि प्रदूषण की मात्रा बढ़ जाती है। इसलिए उन्होंने पर्यावरण मंत्री से आग्रह किया था कि लोगों को जागरूक करने के लिए और समस्या के ठोस समाधान के लिए जल्द ही कोई कदम उठाया जाए। 

पर्यावरण मंत्री अरुण कुमार सक्सेना द्वारा सुंदरम को आश्वाशन दिया था कि जल्दी ही इस समस्या पर ठोस कार्रवाई होगी। वहीं सुंदरम को भी उम्मीद  प्रदेश सरकार द्वारा जल्द ही ध्वनि प्रदूषण के निवारण के लिए कोई ठोस कदम उठाया जाएगा। 

गुरुवार 6 दिसंबर को ही सुंदरम तिवारी की शिकायतों पर संज्ञान लेते हुए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ ने बेरोकटोक लाऊडस्पीकर और डीजे के संचालन पर प्रतिबंध लगाने और कार्रवाई करने का आदेश जारी किया है। 

सुन्दरम तिवारी मुख्यमंत्री के द्वारा की गई त्वरित कार्रवाई का आभार व्यक्त किया है, साथ ही इस आदेश को पर्यावरण संरक्षण के क्रम में एक बड़ी जीत माना है। 

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Journalist, focused on environmental reporting, exploring the intersections of wildlife, ecology, and social justice. Passionate about highlighting the environmental impacts on marginalized communities, including women, tribal groups, the economically vulnerable, and LGBTQ+ individuals.

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